बॉलीवुड फिल्म्स में कोई इमैजिनेशन तो है ही नहीं और साथ में जो पुराना बॉलीवुड मसाला होता था, अब वह भी नहीं रख बॉलीवुड अपनी आत्मा को खो चुका है और खुद को धीरे-धीरे खत्म कर रहा है। पहले की तरह तमिल तेलुगु फिल्मों की रीमेक बनाने की निंजा टेक्निक से काम नहीं कर रही। क्योंकि लोगों ने फिल्म में ऑलरेडी देख ली। अपने बैंक बैलेंस का सोच रहे हैं। सोच रहे हैं कि किसी तरीके से उनकी फिल्म चल जाए और बॉलीवुड इंडस्ट्री आज के दिन बॉलीवुड में पॉसिबिलिटी नहीं रही कि 5400000 के बजट पर बनाई गई भेजा फ्राई जैसी फिल्म अपनी बोर्ड ऑफ माउथ पब्लिसिटी के चलते बॉक्स ऑफिस पर हिट हो जाए और साडे ₹120000000 का माल अंदर से खोखला कर रहे
नमस्कार दोस्तों आज करीब 2 साल पहले इस बात पर बहुत चर्चा हो रही थी। क्या बॉलीवुड खत्म हो रहा है। क्या बॉलीवुड का अंत नजदीक है। लेकिन आया साल 2023 शाहरुख खान की तीन फिल्में आई जवान, पठान, डूनकी और ये क्या बॉक्स ऑफिस
सुनामी लेकर आए हीरो की रानी की प्रेम कहानी ओ माय गॉड दो ड्रीम गर्ल टू सेम बहादुर इन फिल्मों ने भी जमकर बिजनेस किया। इंडिया की सभी लैंग्वेज की बात करें तो 2021 में हिंदी फिल्म सनी बॉलीवुड बॉक्स ऑफिस पर सियासत सिर्फ 19% लेकिन 2023 में बढ़कर 44% हो गया और गदर2 से लेकर 22 तक बॉलीवुड एक के बाद एक नए रिकॉर्ड तोड़ दी। आज के दिन बॉलीवुड के खत्म होने की चर्चा ऑलमोस्ट खत्म सी हो गई। बहुत कम लोग अब डाउट कर रहे हैं। बॉलीवुड इंडस्ट्री के खुद के सर्वाइवल लेकिन आज इस वीडियो में इस सवाल में दोबारा उठाना चाहूंगी। रिकॉर्ड के पीछे छिपा है। एक कड़वा सच सच की वजह से मैं कहना चाहूंगा कि बॉलीवुड अपनी आत्मा को चुका है।खुद को धीरे-धीरे खत्म कर रहा है। इसके पीछे कारण वह नहीं है जो आपको लगता है लेकिन जो परिणाम है वह आपको दिखने लगेंगे। जब मैं आपको बताऊंगा कि आज के वीडियो में समझते हैं। बॉलीवुड के डाउनफॉल की कहानी गहराई दोस्तों बड़ा ही ऑफिस है। बॉलीवुड इंडस्ट्री को झटका लगा को भी माहौल नहीं जा पाए और लोगों को आदत पड़ी। घर बैठे ही अपने स्क्रीन पर फिल्में देखने की। इसी समय के राउंड ओटीटी प्लेटफॉर्म उसमें एक बहुत बड़ी ग्रोथ देखने को मिली।एडवांटेज बड़ा। सीधा था कि बहुत कम कॉस्ट पर लोग बहुत सारी फिल्में देख सकते थे। कुछ टाइम बाद फ्री हो टीटी प्लेटफॉर्म्स भी आने लगे। जहां पर पैसे देने की भी जरूरत नहीं है। फ्री में ही आप फिल्में देख सकते हो। ऐड सपोर्टेड जैसी अमेजॉन मिनी टीवी आज एम एस धोनी एम एक्स प्लेयर को खरीद लिया है और ऐमेज़ॉन मिनी टीवी को उसके साथ मार्च करके बना दिया। ऐमेज़ॉन एम एक्स प्लेयर फॉर्म्स एडवर्टाइजमेंट रिवेन्यू मॉडल पर बेस्ट जैसे कि यूट्यूब भी कांटेक्ट के बीच में ऐड जाएंगी लेकिन आप फ्री में देख सकते हो। कांटेक्ट फ्री में अपना सिर पुरानी फिल्में जैसे की 1972 की आंख में चोली देख सकते हो बल्कि रीजनल फिल्में तमिल,
तेलुगू, मलयालम कनाडा, भोजपुरी, पंजाबी सभी भाषाओं में कांटेक्ट मिलता है। यहां पर सिनेमा चाइनीस जोडियक जैसी फिल्में हिंदी में यहां पर देखने को मिल सकती है और उसमें हिंदी डबिंग भी होती है। जैसे कि डू यू नो एनिमल एंबेसी द लॉन्ग बैलट यह सब ऐमेज़ॉन एम एक्स प्लेयर पर फ्री में अवेलेबल है और यह प्रॉब्लम। रीजनल फिल्में बॉलीवुड को दोनों तरफ से बहुत जबरदस्त कंपटीशन पेश करने को मिला। लेकिन साथ ही साथ कई सालों से बॉलीवुड इंडस्ट्री खुद के अंदर भी एक नई प्रॉब्लम हर कराई जा रही थी। इंडस्ट्री को धीरे धीरे अंदर से खोखला किए जा रहे पड़ती कॉरपोरेटाइजेशन आदि पुरुष फिल्म के रिलीज के समय मैंने वीडियो बनाया था। अगर आपको याद हो तो दो इसमें मैंने बताया था कि किसी कई सारे फिल्म प्रड्यूसर कॉरपोरेटाइजेशन की ओर बढ़ते जा रहे हैं। वह कम से कम सेट करना चाहते हैं। ज्यादा से ज्यादा प्रॉफिट कमाने के लिए और इसी के चलते उन्होंने एक फिल्म करने का एक फार्मूला सा बना लिया है। क्या है यह फार्मूला महिला कुछ भी नया ट्राई मत कर जो चल रहा है। बार-बार वही करो जब तक वह चल रहा है। दूसरा एक्शन फिल्में बनाओ। बहुत सारा ढिशुम ढिशुम करो। सीक्वल्स बनाओ। सुपरहिट फिल्मों का रीमेक करो। पुराने गाने का रीमेक बनाकर अपनी फिल्म में डाल दो। तीसरा लीड रोल में सुपरस्टार को कष्ट करो। दूसरे साइड रोल में भी उन एक्टर्स कोकास करो जिनकी अच्छी खासी फेस वाली हो गई है। चौथा हॉलीवुड फिल्मों को कॉपी करो।सानिया उनके सींस उनकी स्क्रिप्ट सब कॉपी कर लो। पांच क्वेश्चन मत करो समाज को आइना मत दिखाओ कोई thought-provoking फिल्म बनाने की जरूरत नहीं बल्कि लोगों के माइंडसेट को अपनी फिल्म में कोई भी लंबा प्रोफाउंड सीन नहीं होगा। लोगों का कम अटेंशन स्पैन हो गया है तो इसलिए सब कुछ फास्ट फास्ट चलना चाहिए। सब कुछ लाइफ ओक बड़े स्टार्स बड़े सैड बड़ी लोकेशन बड़ा बजट और बहुत सारा bf18 बहुत सारा पैसा खर्च करो। फिल्म की मार्केटिंग पर हर जगह फीचर चलते रहे हो रही है। सारे रिकॉर्ड भी तोड़ रही है लेकिन फिल्म में यादगार नहीं बन रहे जो फिल्में आपके दिल को छू ले आपको सोचने पर मजबूर करें और जिन्हें आप को मन करे। बार-बार देखने ऐसी फिल्में गायब होती जा रही अगरम टॉप 10 हाईएस्ट ग्रॉसिंग हिंदी फिल्मों की लिस्ट देखें। 10 में से चार फिल्में तो केवल 2023 की है और एक फिल्म 2024 की।सबसे ऊपर आप देख सकते हो। जवान और पठान जवान फिल्म के बारे में यह अच्छी बात है कि किसी मेंस्ट्रीम फिल्म में सोशल इश्यूज को दिखाने की हिम्मत करें। इसी बात की तारीफ में ने इस वाले वीडियो में करी थी,
लेकिन अगर फिल्म में के हिसाब से बात करें। स्क्रीनप्ले एक्टिंग डायरेक्शन इन चीजों के हिसाब से देखा जाए तो जवान एक बड़ी मीडियोक्रे फिल्म यही बात पठान फिल्म के लिए भी सच है। बढ़िया ब्रिज की बात करें तो शाहरुख खान की ढंग की दिलवाले और हैप्पी न्यू ईयर भी शामिल है। शाहरुख खान की पुरानी फिल्मों से कंपेयर करो तो यह हाईएस्ट ग्रॉसिंग स्टैंड करती है। सोच कर देखिए दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे। कुछ कुछ होता है। दिल तो पागल है। दिल से कल हो ना हो। मोहब्बतें स्वदेश देवदास चक दे इंडिया और दूसरी तरफ यह वाली फिल्म पठान जवान दिलवाले हैप्पी न्यू ईयर ऑल मोस्ट सभी टॉप एक्ट्रेस में देखने को मिलता है। सलमान खान का ग्राफ देख लीजिए। इनकी टॉप हाईएस्ट ग्रॉसिंग फिल्म्स में है। टाइगर 3 टाइगर जिंदा है। किक चैन का कंपैरिजन किया जा सकता। हिंदी पुरानी फिल्मों से मैंने। आर किया साजन हम आपके हैं कौन हम दिल दे चुके सनम 2015 में बजरंगी भाईजान एक बहुत ही अच्छी फिल्म आई थी,
लेकिन इसके बाद रेस 3 दबंग 3 राधे अंतिम किसी का भाई किसी की जान एक से बढ़कर एक बकवास फिल्में देखने को मिली जो सीट फार्मूला को कॉपी करने की कोशिश कर रही थी कि हाईएस्ट ग्रॉसिंग इंडियन फिल्म्स की लिस्ट में कई सारी फिल्में है। धूम 3 सिंबा साहू शायद ही कोई ऐसा हो जिस की सबसे पसंदीदा फिल्म इनमें से कोई उसकी बातें सुनकर शायद आप रूम करना चाहे की वीडियो कर फिल्म सीमा सी फिल्म होती है और वही ब्लॉकबस्टर सो सकते हैं,
लेकिन ऐसा है नहीं। अगर आप हाईएस्ट ग्रॉसिंग फिल्म्स एडजेक्टिव फॉर इन्फ्लेशन देखोगे तो इस लिस्ट में हरीश फिल्म ऐसी है जो एक नया फिल्म है। ऐसी फिल्में जो कई सारे लोगों की पसंदीदा फिल्में मुग़ल-ए-आज़म शोले मदर इंडिया नया दौर हम आपके हैं कौन ग़दर एक प्रेम कथा मुकद्दर का सिकंदर दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे। गंगा जमुना संगम इन सभी फिल्मों में प्रॉपर कहानी है। इमोशंस है सब से एक भी फिल्म ऐसी नहीं जिसे सुपर।कुशल टाइमपास या वीडियो कर कहा जाता है लेकिन समय मीनिंग फुल क्वालिटी सिनेमा किसी प्रदूषण का क्राइटेरिया हो सकता है कि शेखर कपूर के कुछ साल पुराने स्वीट को देखिए फिल्मेकर है जिन्हें मासूम मिस्टर इंडिया और बैंडिट क्वीन जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है। लिखते हैं रामगोपाल वर्मा की जल्द ही हमारी क्रिएटिविटी कॉरपोरेशन कंट्रोल करेंगे। अगर डायरेक्टर इकट्ठे नहीं हुए। इस कॉर्पोरेट पावर को काउंटर करने के लिए दिल से जो फिल्म थी,
वह इस तरह की पहली कोलैबोरेशन थी, लेकिन अनफॉर्चूनेटली आखरी बीपी दिल से फिल्म का स्क्रीनप्ले डायरेक्शन किया था। वेटरन फिल्में कर मणि रत्नम में और शेखर कपूर इसके को पर ब्लू शर्ट में चाहिए। अनुराग बासु जिन्होंने मॉडल गैंगस्टर लाइफ इन मेट्रो बर्फी और जग्गा जासूस फिल्म बनाई है। उन्होंने भी कहा कि अब स्टूडियोज डिसाइड करते हैं कि क्या बनाना है डायरेक्टर के बाद भले ही सब्जेक्ट स्क्रिप्ट का आईडिया हो लेकिन जरूरी नहीं कि स्टूडियो माने।अक्सर को मानते ही नहीं फिल्मी कर शाम भी ने कहा,
जिन्होंने हिंदी सिनेमा को अंकुर निशान और मंथन जैसी बेहतरीन फिल्में दी। स्टूडियो बैक फिल्म को टैक्स फ्री लाइन की तरह देखते हैं। बॉलीवुड स्क्रीन्राइटर चिराग घर कहते हैं कि एक समय पर एक राइटर पूरेपैशन के साथ फिल्म लिखता थी, लेकिन आज राइटिंग डिपार्टमेंट को क्रिकेट टीम बना दिया जाता है। सब कुछ मेकेनिकल तरीके से होता है। अब ऐसा नहीं है कि कोर्ट ट्रेन सिर्फ बॉलीवुड इंडस्ट्री में ही देखने को मिला। यही दिक्कत हॉलीवुड इंडस्ट्री में भी देखने को मिल रही है। कुछ आता भी लोग कह रहे हैं कि फिल्म बीएफ एक्स है या वीएफएक्स में फिल्में अवेंजर्स एंडगेम के बाद आई मार्बल की कई फिल्मों को इन्हीं चीजों के लिए यूज किया गया। बस पैसा कमाने के लिए बनाई गई है। कोई स्टोरी नहीं कोई क्रिएटिविटी में। लेकिन बॉलीवुड बॉलीवुड बॉलीवुड की हीरो और बड़े सेठ का मुकाबला हॉलीवुड करना बहुत मुश्किल है और पैसों की ही यही प्रॉब्लम बॉलीवुड इंडस्ट्री के पीछे बड़ा कारण। आप सोचोगे यार बॉलीवुड इंडस्ट्री को पैसे की क्या प्रॉब्लम हुई एक करोड़पति एक्ट्रेस इतने अमीर है। अपनी बड़ी-बड़ी गाड़ियों में घूमते हैं। बड़े-बड़े घर है इनके पास,
लेकिन पैसों की प्रॉब्लम है। दोस्त और पूरी इंडस्ट्री में किसी इंडिविजुअल एक्टर डायरेक्टर प्रोड्यूसर की बात नहीं कर रहा। बॉलीवुड इंडस्ट्री में खतरनाक लेवल की क्वालिटी देखने को मिल रही है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इंडियन बॉक्स ऑफिस की 58 इंच के मामले में करीब 1000 फिल्में रिलीज हुई और टोटल में 12226 करोड रुपए की कमाई इंडियन बॉक्स ऑफिस टोटल कमाई का 40 परसेंट हिस्सा दुश्मन मीडियम बजट फिल्में हैं, जिनमें ज्यादा जाने-माने एक्ट्रेस नहीं है। उनके लिए प्रॉफिटेबल हो पाना बहुत बहुत मुश्किल बनता जा रहा है। पूरे साल में गिनती की पांच फिल्में थी जो स्मॉल या मीडियम बजट की थी जो ढंग का प्रॉफिट कमा पर सीमा सी फिल्म हिट फॉर्मूला के पीछे भाग रही थी। वह भी फ्लॉप रहे।के बारे में तो आप सब जानते ही हैं। टाइगर श्रॉफ की फिल्म गणपत 200 करोड़ के बजट पर बनी सिर्फ 10 करोड़ कमा पर कार्तिक आर्यन की फिल्म शहजादा अक्षय कुमार इमरान हाशमी की फिल्म सेल्फी 100 करोड़ के बजट पर बनी 24 करोड़ कमा पर कंगना रनौत की। फिल्म तेजस 70 करोड़ के बजट पर बनी सिर्फ एक करोड़ कमा पर 2024 का भी यही हाल है। ऐसी फिल्में जो पीछे भागने की कोशिश कर रही थी। फिर भी फ्लॉप रहे जॉन इब्राहिम की एक्शन फिल्म विदा फ्लोर अक्षय कुमार की सरफिरा बड़े। मियां छोटे मियां क्लॉक यह दूसरी वाली तो 350 करोड रुपए के बजट पर बनाई गई। इस फिल्म में ढेर सारा एक्शन बड़े-बड़े सेट पूरा फार्मूला लगाया गया था। लेकिन फिल्म 102 करोड पर ही सिमट प्रॉब्लम कहां आ रही है।एक कारण तो मैंने आपको बताया कि वो टीटी से जबरदस्त कॉन्पिटिशन देखने को मिल रहा है। पहले की तरह तमिल तेलुगु फिल्मों के रीमिक्स बनाने की निंजा टेक्निक से काम नहीं कर रही। क्योंकि लोगों ने फिल्म में ऑलरेडी देख लिए बड़ा कारण है। बॉलीवुड सुपरस्टार की इन्फ्लेटेड फीस फिल्मों का आधा बजट तो एक फिल्म स्टार के पैसे देने में खर्च हो जाता है। एबीपी न्यूज़ हिसार टिकट को देखिए फिल्म आई थी। अक्षय कुमार की खेल खेल में कई सारे एक्टर एक्ट्रेस इस फिल्म का बजट करीब 100 करोड रुपए का था। 100 करोड़ मैसेज 60 करोड रुपए खर्च हुए। सिर्फ अक्षय कुमार की फीस देनी मदर फिल्म का 60% बजट सिर्फ एक एक्टर के ऊपर खर्च किया जा रहा है। बाकी एक्टर्स को नेगलिजिबल अमाउंट मिलट्री कंपैरिजन में और इसके बाद सोचो फिर कितना पैसा रहेगा। फिल्म की स्टोरी पर खर्च करने के लिए डायरेक्शन पर स्क्रीन प्ले के लिए डायलॉग्स लिखने के लिए फिल्म की टोटल कमाई करीब ₹570000000 की थी। 100 करोड़ के बजट पर अगर इतनी ज्यादा फीस यहां आ गई होती तो शायद ब्लॉक नहीं होती। एक फिट होती बिजनेस में बताया गया है कि केवल हिंदी फिल्म!
साउथ इंडियन फिल्म की लीड एक्टर्स भी एक फिल्म के लिए 100 से 200 करोड़ रुपए की फीस चार्ज कर रहे हैं। न्यूज़ रिपोर्ट के मुताबिक कृति सैनॉन पुरुष के लिए 3 करोड रुपए मिले जबकि प्रभास के लिए 150 करोड रुपए में ₹500000000 अगर सिर्फ एक एक्टर पर खर्च किए जाएंगे तो कहां से सीजीआई बीएफ एक्स पर खर्च करने के लिए पैसा बचेगा तो बात वहीं आ जाती है। ऑप्शन है बजट की फिल्में देखना गेम ऑफ थ्रोंस लॉर्ड ऑफ द रिंग्स विस्तार देखना बड़े। मियां छोटे मियां क्यों देखेंगे,
दो एक्टिंग करनी नहीं आती और वही घिसी पिटी कहानी की दो ही रोज किसी दुनिया को बचा रहे सुनकर आपको लगेगा कि सुपरस्टार फिल्म एक्ट्रेस पैसों के लिए लालची हो रहे लेकिन पैसों के लिए तंबाकू पान, मसाला और शराब भेज सकते हैं। सेरोगेट कर सकते हैं या ज्ञान लिंग बैटिंग पैड्स प्रमोट कर सकते हैं। इस फिल्म के लिए ज्यादा चार्ज करना आखिर क्यों नहीं करेंगे?
दूसरी बार पूरा खेल लालच का है तो यह लोग ज्यादा लालची क्यों नहीं हो उन फिल्म स्टूडियो उसका भी तो लालच है।कोल्ड सुपर चार्ज को कितने करोड़ रुपए बांट देते हैं। इस उम्मीद में कि उनकी फिल्में 500 करोड़ कमाएंगे इसलिए हम इन एक्टर्स को इतनी ज्यादा फीस देने के लिए तैयार है। छोटे मियां बड़े मियां फिल्म का बजट 350 करोड रुपए इतने रुपयों में 15 शानदार फिल्में बनाई जा सकती। फिल्म प्रोड्यूसर भी शॉर्ट टर्म कोई गेम्स के पीछे भागते हैं। लोंग टर्म सस्टेनेबल बिजनेस के बारे में नहीं सोचते रहते हैं। कोई भी एक लास्ट इंडस्ट्री के बारे में नहीं सोच रहा। एक्ट्रेस अपने बैंक बैलेंस का सोच रहे हैं। प्रड्यूसर सोच रहे हैं कि बस किसी तरीके से उनकी फिल्म चल जाए। इंडस्ट्री गई गड्ढे में किसे परवाह है। मैं इसे लेकर बहुत बहुत उदास हूं। बॉलीवुड फिल्म्स में कोई इमैजिनेशन तो है ही नहीं और साथ में जो पुराना बॉलीवुड मसाला होता था,
अब वह भी नहीं रहा। कोई देसी एलिमेंट ही नहीं रहा। बिहार बेस्ट फिल्म एक्टर अभिषेक चौहान इंडियन एक्सप्रेस से कहते हैं कि बड़े मियां छोटे मियां एक पुरानी डेट की हॉलीवुड फिल्म के जैसे थे। वे कहते हैं कि फिल्म में टोटल पैकेज होने चाहिए जिसमें म्यूजिक कांटेक्ट इमोशन।सब कुछ उसी तरह मिक्स प्लेयर जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स भारतीय दर्शकों की जरूरतों को समझते हुए नया कांटेक्ट उपलब्ध कराते हैं। ढेर सारे ऑप्शन वैरायटी की वजह से लोग इसकी तरफ आकर्षित होते हैं। एम एस धोनी मिक्स प्लेयर पर आपको हिंदी में भरपूर विदेशी कॉन्टेंट भी मिलेगा जैसे कि के ड्रामा अगर आप इस वीकेंड पर एक मंडरींस के ड्रामा देखना चाहते हैं तो आप ब्लॉक भी और वर्ल्ड देख सकते हैं। यह कहानी है कि युवी की एक डायरेक्शन लिस्ट गर्ल जिसमें उनका फ्यूचर संकीस वह बजट करता है करता है। उनके अनहैप्पी फ्यूचर के बारे में और फ्यूचर बदलने में उनकी सहायता करता है। बड़ी इंटरेस्टिंग स्टोरी है। डिस्क्रिप्शन में दिए गए लिंक पर क्लिक कर सकते और देखना शुरू कर सकते हैं। यहां में अमेजॉन एमएक्स प्लेयर का धन्यवाद करना चाहूंगा। इस वीडियो को स्पॉन्सर करने के लिए भी और इमोशन की बात करी जाए तो इमोशन लोगों को मिला। विधु विनोद चोपड़ा की बनाई हुई फिल्म 25 हफ्तों तक सिनेमा हॉल में चलती रही। 20 करोड़ के बजट पर बनाई गई इस फिल्म ने ₹700000000 कमाए की फिल्म की जबरदस्त मार्केटिंग उसकी वजह से नहीं चली बल्कि। माउथ पब्लिसिटी से मिली लोगों को खुद पसंद आई। लोगों ने अपने दोस्तों अपने परिवार वालों को बताया कि जाकर देखो 4 से 5 करोड़ के बजट पर बनी इस फिल्म में वर्ल्ड वाइड ₹250000000 की कलेक्शन पंडित पर रिलीज होने पर इतने भी व्हाट्सएप में एक 40 गुना बजट की फिल्मों को पछाड़ दिया। यह भी फिर से वही इनोसेंस इमोशन और कुछ मीनिंग फुल देखने को मिल इन दोनों में से एक भी फिल्म में अगर कुछ सुपरस्टार एक्टर होता जो करोड रुपए फीस चार्ज करता तो यह फिल्में प्रॉफिटेबल नहीं होती। आजकल लेकिन प्रॉब्लम यह है कि ऐसी फिल्में साल भर साल बहुत कम होती जा रही है। जावेद अख्तर ने इसी टॉपिक्स रिलेटेड एक बड़ी इंटरेस्टिंग बात कही थी कि अमिताभ बच्चन का जो एंग्री यंग मैन वाला कैरेक्टर होता था। 1980 की फिल्मों में उसका गुस्सा एक गहरे घाव पर आधारित होता था। जब उस कैरेक्टर को गुस्सा आता था तो आपको अंदर से उसका दर्द दिखता त्रिलोक घाव भूल गए और केवल गुस्सा रहेगा। आज जो आदमी है वह अपने समाज अपने दोस्तों और अपने परिवार या खुद के प्रति क्या ही जिम्मेदारी रखता है इस स्वार्थ की लाइन आप कहां थी चेंज?
और इसलिए अब हम महान कैरेक्टर्स नहीं है। महान एक्टर है सर आप लोग इस बात को ना जानते हो कि सलीम जावेद की जोड़ी।हाथी मेरे साथी शोले जंजीर दीवार डॉन शक्ति क्रांति मिस्टर इंडिया जैसी यादगार फिल्में लिखी करने के लिए तो जैसे सीनियर क्रिएट ए ब्लॉग ओं क्रिएटिविटी में रखें। लेकिन की जगह 24 साल के कॉर्पोरेट एमबीएस ले रहे हो। कॉल क्रिएटिव टीम पर अटकी हुई है। वरना ऐसा नहीं है कि आज बॉलीवुड में टैलेंटेड एक्ट्रेस राइटर्स फिल्म मेकर्स ना बिल्कुल है और वह लोग अच्छा काम भी करना चाहते हैं। अपनी फिल्म एलएलबी 2 के रिलीज पर दिवाकर जी ने कहा था कि उनकी फिल्म को लिमिटेड रिलीज मिला क्योंकि एक बड़ी फिल्म जो चल भी नहीं रही थी,
उसने सभी स्क्रीन फ्री बुक कर लिए थे। सबकुछ पावर का खेल है। इससे पहले उन्होंने समदिश भाटिया के साथ इंटरव्यू में कहा था कि इंडिपेंडेंस सिनेमा को एक सिस्टमैटिक्स तरीके से साइड लाइन करने का काम किया जा रहा है। देलफोरेशन बताया जा रहा है कि इन फिल्मों को मत देखो क्योंकि यह कम पैसा बनाती है और इन फिल्मों को देखो क्योंकि यह पैसा बनाती थी। उससे पहले कभी भी किसी दृश्य को यह नहीं बताते कि इस फिल्म ने कितने पैसे बनाकर की थी,
जिसे नेटफ्लिक्स कमीशन किया था, वह रिलीज नहीं की गई। यह कहते हुए इस शायद इस फिल्म को रिलीज करने का समय सही नहीं है। इंटर सेंट पीटर्स लेट दिवाकर ने कहा, क्यों दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। लोगों से रिक्वेस्ट कर रहे हैं कि सर प्लीज नेटफ्लिक्स सिस्टम को खरीद लो ताकि कहीं तो रिलीज हो सके। अनुराग कश्यप की फिल्म ऑलमोस्ट प्यार में डीजे मोहब्बत के बारे में भी हो। यही कहते हैं कि पता ही नहीं चला। यह फिल्म कब रिलीज होगी। अगली बड़ी प्रॉब्लम है। दोस्तों इंडिपेंडेंट फिल्में छोटे बजट की फिल्में ने थियेटर में रिलीज करवाना बहुत मुश्किल बन गया है। इन्हें कोई प्राइम टाइम स्लॉट्स नहीं मिलते। हसी ने 1 हफ्ते का समय भी नहीं मिलता। सिनेमा हॉल और अगर समय ही नहीं मिलेगा। लोगों को मौका ही नहीं मिल पाएगा कि वह सिनेमा हॉल में जाकर इन फिल्मों को देख पाए तो वर्ड ऑफ माउथ पब्लिसिटी कहां से हुई फ्राइडे को।सिनेमा हॉल में रिलीज हुई कुछ गिने-चुने सिनेमा हॉल्स में और 3 दिन बाद ही फिल्मों को हटा दिया जाता है जिससे बात करते हुए फिल्में कर अनीस बज्मी ने स्टैंड को अन फोर्टिनेट का दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे,
लेकिन जब सिनेमा हॉल में रिलीज हुई थी तो बड़ी स्लो स्टार्ट मिली थी। अगर आज की फिल्मों की तरह से ट्रीट किया जाता है तो कुछ ही दिन बाद ही सिनेमा हॉल से बाहर होती है और कभी इतनी बड़ी क्लासिक बन ही ना पाएंगे। पिछले कुछ सालों में जिन्हें नेशनल का इंटरनेशनल अवार्ड मिले, लेकिन हमारे सिनेमाहॉल में रिलीज होने का मौका नहीं मिला जैसे कि यह फिल्म ऑल द ब्रिज ढेर सारे अवॉर्ड जीते इंटरनेशनल।या फिर फ्रीडम फाइटर खुदीराम बोस पर बनाई गई यह फिल्म जिसमें 53 इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया में दिखाया गया लेकिन सिनेमा हॉल में कभी नहीं लगाया गया। ऊपर जल्दी प्रॉब्लम यह है कि फिल्मों की टिकट भी इतनी महंगी हो गई है। दिल्ली में गरीब लोगों के लिए एक भी सिनेमा हॉल नहीं बचा है। जहां वह ठीक ठाक रेट में फिल्म देख पर एक समय पर मिडिल क्लास लोगों के लिए सिनेमा हॉल में जाना वीकली एक्टिविटी हुआ करती थी। अब यह कई महीनों में 1 टाइम पिकनिक जैसा बन गया है और इसी टाइम पिकनिक का इस्तेमाल करना चाहते हैं। यह बड़े सुपरस्टार कोई लार्जर देन लाइफ फिल्म को दिखाने के लिए बड़ा। बजट बड़े-बड़े सेट बड़ी फिल्म बड़ी महंगी टिकट बड़ा। महंगा पॉपकॉर्न वाले जो सिस्टम आ गया है। इसमें अब यह मजेदार पॉसिबिलिटी नहीं रही कि ₹54 के बजट पर बनाई गई भेजा फ्राई जैसी फिल्म अपनी वर्ड ऑफ माउथ पब्लिसिटी के चलते हैं। साडे 12 करोड रुपए कमाए घोष की फिल्म कहानी 8 करोड़ के बजट पर बनाई हुई 104 करोड रुपए का बिजनेस कर पाए। बधाई हो। बहुत ही यूनिक अलग से कौन सीट पर ₹290000000 में बनाई गई?
219 करोड़ कमा पर खत्म हो चुकी है और ऐसी फिल्मों के बहुत सारे एग्जांपल से दोस्तों आज से 10 साल पहले तक भी ऐसी फिल्मों की वजह से ही बॉलीवुड को लोग देखना पसंद करते थे। ऐसी फिल्मों से ही बॉलीवुड को अपना सोल मिलता था। खोसला का घोसला तेरे बिन लादेन फस गए रे ओबामा विकी डोनर क्वीन श्री नीरजा लंच बॉक्स सब छोटे बजट पर बनाई हुई अनोखी फिल्म में उस जमाने में बॉलीवुड अलग-अलग जॉन राज के साथ एक्सपेरिमेंट किया करता हॉरर फिल्में ढेर सारी देखने को मिलती थी। भूत राज़ 3 भी डरना मना है। एनिमेशन फिल्में आती थी। सिनेमा हॉल में हनुमान रिटर्न ऑफ हनुमान बाल गणेशा जम्मू माय फ्रेंड गणेशा सुपर हीरो के साथ एक्सपेरिमेंट किया गया। रावण कृष ड्रोन थीम पर कोई मिल गया जैसी फिल्में आती थी। पिछले 5 सालों में अब आपको हार्डली कोई ऐसे 2 3 एग्जांपल मिल पाएंगे। फिल्मों के जो अलग-अलग वैरायटी ऑफ जॉन रहते हो।पर अब जो सारी फिल्में आ रही है वह 3 ही जॉन रस की आ रही है। मसाला एक्शन मसाला कॉमेडी या मसाला देशभक्ति फिल्में मूवीस में जो डाइवर्सिटी है,
वैरायटी है। वह साल भर ताल कम होती जा रही है। बॉलीवुड इंडस्ट्री ऑफ बच्चों के लिए कोई फिल्में नहीं बनाती थी। अब स्थिति यह है कि बॉलीवुड हो रहा है नहीं होता तो कहा जाता है कि यह तो एक ओटीपी फिल्म है, लेकिन अब कई सारे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स भी किसी फिल्म के बॉक्स ऑफिस रन देखने के बाद ही उसको रिलीज करने के लिए तैयार होते हैं। प्लेटफार्म फिल्मों की बॉक्स ऑफिस परफॉर्मेंस देखना चाहते हैं। उनका प्राइस डिसाइड करने से पहले कितने में वह खरीदेंगे,
लेकिन प्रॉब्लम यह है कि फिल्मों को बॉक्स ऑफिस पर शेर अली कंप्लीट करने का मौका भी नहीं मिल पाता। काल में कहा था कि पूंजीवाद खुद अपने अंदर अपने विनाश के बीच लिए हुए होता है।बॉलीवुड के केस में यह स्टेटमेंट सही साबित होती हुई दिख रही है। फिल्म स्टूडियो के लालच की वजह से यह मोनोपली बढ़ रही है और इसकी वजह से बॉलीवुड इंडस्ट्री और मैनेजिंग डायरेक्टर सिद्धार्थ रॉय कपूर ने कहा कि छोटे बजट की फिल्में इंडस्ट्री के पहियों की रेलिंग करती है। अगर 1 साल में सिर्फ कुछ बड़ी ब्लॉकबस्टर फिल्में ही बनेगी तो भविष्य में सस्टेनेबल इंडस्ट्री इंडस्ट्री के पास खुद को सपोर्ट करने के लिए एक वर्क फोर्स नहीं होगी। क्या है इस सब का सलूशन दोस्तों कहना आसान है लेकिन इंप्लीमेंट करना मुश्किल है। बॉलीवुड के पूरे सिस्टम को ज्यादा इंक्लूसिव बनाना हो। कम बजट वाली फिल्मों को स्पीच देनी होगी। प्रोडक्शन से लेकर रिलीज तक छोटे बजट की फिल्मों को सपोर्ट करना होगा। कम बजट मतलब सिम पैसे पर ज्यादा फिल्में बनाई जा सकती है। ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा। कम काश की वजह से सस्ती टिकट होंगी और कर सकती टिकते होंगी तो ऑडियंस साइज बड़ा हो। गरीब लोगों को भी सिनेमा हाउस में जाने का मौका मिल पाएगा। मिडिल क्लास ज्यादा फ्रिक्वेंटली फिल्में देखने जाएगी। राम बड़े-बड़े फिल्म एक्ट्रेस की खुद की प्रोडक्शन हाउसेस भी कर सकते हैं। जैसी आमिर खान के प्रोडक्शन हाउस ने लापता लेडीस स्थिति को बनाया। एक कांटेक्ट ड्रिवन छोटे बजट की आशा करते दोस्तों की बॉलीवुड के बिग बॉस इस इस वीडियो को देखें और बॉलीवुड में भी अच्छे म्यूजिक सॉन्ग एक्टिंग कंटेंट वाली यूनीक मीनिंग फुल फिल्म का चलन फिर से शुरू हो सके क्योंकि यही एक तरीका है। हमारी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री बॉलीवुड को बचाने वाला वीडियो भी देख सकते हैं,